Tera Inteqaam Mera Ishq - 1 in Hindi Thriller by Rishabh Sharma books and stories PDF | तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज - 1

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तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़ - एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज - 1

“तेरा इंतकाम, मेरा इश्क़” – एक अनसुनी मोहब्बत की सीरीज

🌹 एपिसोड 1: पहला प्यार कभी मरता नहीं


☁️ बनारस का वो महीना सावन का था, और आसमान में छाई थी हल्की हल्की धुंध।
शहर की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में पहला दिन था काव्या का। नीली सलवार-कुर्ता, एक हाथ में किताबें, दूसरे में छतरी, और आंखों में सपनों की झलक लिए वो लड़की कॉलेज के गेट से अंदर आई, जैसे वक़्त के पुराने पन्नों पर कोई नई कविता उतर आई हो।

📚 काव्या - 19 साल की सीधी-सादी, लेकिन दिल से बेहद गहरी लड़की।
इंग्लिश लिटरेचर की छात्रा, जो किताबों और शायरी की दीवानी थी। उसे लगता था कि हर इंसान के अंदर एक अधूरी कहानी होती है, बस कोई सुनने वाला चाहिए।

वो लाइब्रेरी की तरफ जा ही रही थी कि तभी एक बाइक की तेज़ आवाज़ ने उसका ध्यान भंग किया।
बाइक सामने आकर तेज़ी से रुकी — और ज़ोर से हॉर्न बजा।

💥 “देख के चला करो, मैडम! अगली बार खुद उड़ जाओगी…”
ये आवाज़ थी आर्यन की — एक रहस्यमयी लड़का, जो इस कॉलेज का सबसे चर्चित नाम था।

वो अपनी काली बाइक से उतरा, हेलमेट निकाला… और जैसे ही उसकी आंखें काव्या से टकराईं —
⏳ पल एकदम रुक-सा गया।

🧍‍♂️ आर्यन - 21 साल का, कॉलेज का दूसरा साल, लेकिन किसी से ज़्यादा मेल-जोल नहीं।
गहरे आंखों वाला, शांत, और थोड़े गुस्सैल स्वभाव का। उसके चेहरे पर एक ऐसा दर्द था, जो उसने कभी किसी से बांटा नहीं था।

काव्या को पहली बार किसी की आंखों में ऐसी बेचैनी दिखी थी — जैसे कोई टूटा हुआ इंसान, जिसे जोड़ने की कोई उम्मीद ही नहीं बची।
वो कुछ कहती, उससे पहले आर्यन मुड़ कर जा चुका था।


⏳ कुछ हफ्ते बाद…
कॉलेज कैंटीन में, लाइब्रेरी में, कॉरिडोर में… काव्या और आर्यन अकसर टकरा जाते।
कभी नज़रे चुराते, तो कभी यूँ ही एक-दूसरे को देख लेते।

एक दिन, लाइब्रेरी में आर्यन ने पहली बार बात की:

🗣️ “तुम हर वक़्त किताबों में घुसी रहती हो… क्या इन पन्नों में सच्चाई मिलती है?”

👩‍🦰 काव्या मुस्कराई और बोली,

“कम से कम इन पन्नों में धोखा नहीं होता।”
उस दिन दोनों साथ बैठे। और पहली बार, आर्यन खुलकर हँसा।
काव्या को महसूस हुआ, उस हँसी के पीछे कोई बहुत पुराना ज़ख्म छिपा है।


💞 दोस्ती… या कुछ ज़्यादा?
अब हर दिन, दोनों का साथ एक आदत बन चुका था।
कॉलेज के बाद घंटों घाट किनारे बैठना, बारिश में भीगते हुए चाय पीना, और रात को एक-दूसरे को मैसेज करना – “अच्छा लगा आज फिर से मिलना।”

काव्या के लिए आर्यन अब किसी किताब का किरदार नहीं, बल्कि उसकी अधूरी कविता बन चुका था।
लेकिन आर्यन… अभी भी अपने अंदर बहुत कुछ छुपाए हुए था।

🎭 एक दिन काव्या ने पूछा:

“आर्यन, तुम्हारे अंदर इतना दर्द क्यों है?”

😔 आर्यन कुछ देर चुप रहा और बोला —

“क्योंकि मैं जिस चीज़ को सबसे ज़्यादा चाहता था, उसी ने मुझे सबसे गहरी चोट दी।”
काव्या ने पहली बार उसके हाथ में एक पुराना ब्रेसलेट देखा, जिस पर किसी लड़की का नाम आधा मिटा हुआ था… ‘आ…’


🕯️ और फिर... एक रात
कॉलेज का फेयरवेल फंक्शन था।
सबने fancy कपड़े पहने थे। काव्या ने गहरे नीले रंग की साड़ी पहनी थी, और आर्यन ने पहली बार शर्ट पहनकर उसे देखा।

🎶 डीजे पर गाना चल रहा था – “तेरा बन जाऊँगा…”
काव्या की नज़रें आर्यन पर अटक गईं। और पहली बार, आर्यन ने खुद उसके सामने हाथ बढ़ाया।

🕺 “चलो, एक डांस हो जाए?”

💃 काव्या मुस्कुराई – “सिर्फ़ एक?”
दोनों डांस फ्लोर पर आए। हल्की रोशनी, धीमा संगीत, और तेज़ होती धड़कनें।
काव्या की आंखों में नमी थी… और आर्यन की आंखों में उम्मीद।

लेकिन तभी —
⚡ कॉलेज के बाहर जोर की आवाज़ हुई!
भागदौड़ मच गई। लोग चिल्लाने लगे —
“किसी ने आर्यन को बुलाया है बाहर… उसकी बाइक जला दी गई है!”


🌪️ और अगली सुबह…
काव्या कॉलेज आई, लेकिन आर्यन गायब था।
उसका फोन बंद, घर ताला बंद, दोस्तों को कुछ नहीं पता…

📝 बस लाइब्रेरी की एक किताब में काव्या को एक पन्ना मिला, जिस पर लिखा था:

"कभी-कभी इंसान को दूर जाना पड़ता है… ताकि वो खुद को ढूंढ सके।
अगर मेरी मोहब्बत सच्ची थी… तो लौटूंगा ज़रूर। लेकिन शायद एक और नाम, एक और चेहरा लेकर।"

💔 और यहीं से शुरू हुआ इंतज़ार…
काव्या हर दिन गंगा किनारे जाती, उसी जगह बैठती जहां वो आर्यन के साथ बैठा करती थी।
कभी कोई खत नहीं आया, कोई मैसेज नहीं।
बस उसका दिल हर दिन कहता —

🕊️ “पहला प्यार अगर अधूरा रह जाए… तो वो कभी मरता नहीं।”

📌 सीरीज जारी रहेगी... अगले एपिसोड में:

🔥 एपिसोड 2: लौट आया है वो… लेकिन अब वो वैसा नहीं रहा।